वेदांता के अनिल अग्रवाल ने सहजता से बता डाले सफलता के राज…
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नई दिल्ली। वेदांता समूह (Vedanta) के चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agrawal) की एक सफल व्यवसायी के साथ ही सरल स्वभाव और सादगी भी पहचान है। उन्होने बिहार के छोटे से गांव से निकलकर वेदांता ग्रुप का करोड़ों का कारोबार खड़ा करने का चमत्कार किया है। एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में अनिल अग्रवाल ने अपनी व्यावसायिक यात्रा, कारोबार पर कर्ज, सफलता, अडानी मुद्दे और बढ़ते भारत की तस्वीर के बारे में खुलकर चर्चा की।
अनिल अग्रवाल ने वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते कदम की सराहना करते हुए कहा कि हम तेजी से बढ़ रहे हैं। यहां के लोगों में कुछ कर गुजरने की लगन है। यहां के सीईओ मेहनती है। भारत मैन्युफैक्चरिंग का हब बन रहा है। हम 700 बिलियन का इंपोर्ट करते हैं। जब मैंने 15 साल पहले कहा था कि हमारे पास सबकुछ है, फिर हम इंपोर्ट क्यों करते हैं। उस वक्त मुझे गालियां मिली थी, लेकिन आज सभी वहीं बोल रहे हैं। कर्ज के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि कारोबार में ये सब चलता रहता है। लेकिन भारत में जिस तरह से बिजनस को बढ़ावा मिल है, उससे हिन्दुस्तान तेजी से आगे की ओर बढ़ रहा है। जिस तरह से भारत आगे बढ़ रहा है यकीन मानिए, कईयों के आंसू निकलेंगे।
बता डाले सफलता के राज…
अनिल अग्रवाल से जब उनकी कंपनी के कर्ज से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कारोबार का ये नेचर है। जब आप आगे बढ़ते हैं, लोग आपके बारे में बात करते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने ऑयल एंड गैस कारोबार में 22 अरब डॉलर लगाए, एल्मुनियम में 17 अरब डॉलर लगाए, जिंक में 20 अरब डॉलर लगाए हैं। कुल मिलाकर 100 अरब डॉलर लगाए हैं, लेकिन जब मेरे कर्ज को देखेंगे तो वो सिर्फ 13 अरब डॉलर है। कर्ज पर उठ रहे सवालों पर उन्होंने कहा कि मेरे पिताजी कहते थे काम करते रहो, कौन क्या कहता है उसके बारे में मच सोचो। उन्होंने मुझे कहा था किसी का एक पैसा मत रखना। जो आगे बढ़ते हैं उनके बारे में बात होती ही रहती है। उन्होंने दारा सिंह का जिक्र करते हुए कहा कि हम तो दारा सिंह का कुश्ती देखकर बड़े हुए हैं। जब तक कोई मार नहीं खाता, किसी को मारते नहीं है। हम तो हर तरह के हमले के लिए तैयार रहने वाले हैं। बिहारी है, सिर पर कफन बांधकर आए हैं।