भारत जोडो यात्रा: जन नेता बनने की दिशा में राहुल गांधी का महत्वपूर्ण कदम

—याज्ञवल्क्य
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी की कन्या कुमारी से कश्मीर तक की भारत जोडो यात्रा का कश्मीर में समापन हो गया। यह यात्रा कई अर्थों में मायने रखती है। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के उत्तराधिकारी राहुल गांधी ने इस यात्रा में संपूर्ण देश को निकटता से जाना और देश के लोगों ने उन्हे पारदर्शिता के साथ निकट से देखा। राहुल गांधी की भारत जोडो यात्रा एक ओर जहां उनके जन नेता बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, तो वहीं दूसरी ओर भारतीय लोकतंत्र के लिए देश के प्रत्येक अंचल की गहरी समझ रखने वाले एक नेता की उपलब्धि है।

देशभर में भारत जोडो यात्रा के प्रति लोगों का जोश देश की राजनीति में भविष्य में आने वाले परिवर्तनो का संकेत माना जा सकता है। स्वाधीनता के पूर्व में और स्वाधीनता के बाद भी कई नेता जनता से सीधे जुडाव के लिए पद यात्राएं करते रहे हैं। इन यात्राओं पर ध्यान दिया जाए तो ऐसे नेताओं को भरपूर जन समर्थन भी मिला है। बीता दौर कुछ ऐसा रहा है कि नेताओं का जनता से जीवंत संपर्क कम होता गया। चुनावों और सभाओं में जनता नेताओं को सुनती तो है, लेकिन यह पूरी तरह एक पक्षीय संवाद होता है। यह कहा जा सकता है कि मध्यस्थों की भीड नेताओं तक धरातल की स्थिति को यथावत पहुंचने में बाधा बनती रहती है। कई बार तो प्रायोजित भीड नेताओं के लोकप्रियता के मुगालते के पीछे होती है।

इस भारत जोडो यात्रा में राहुल गांधी और उनके सहयात्री भाजपा के निशाने पर रहे, लेकिन इससे राहुल गांधी, उनके सहयात्री और जनता भी विचलित अथवा भ्रमित नहीं हुई। जनता राहुल गांधी को निकटता से देखना—परखना चाहती थी और राहुल गांधी को भी प्रचार—दुष्प्रचार से हटकर अपने व्यक्तित्व को जनता के सामने रखने का यह बहुत अच्छा अवसर था। राहुल गांधी ने भारत जोडो यात्रा के दौरान अपनी सहजता और पारदर्शिता से जनता के मन में स्थान बनाया है। लोगों ने उन्हे एक गंभीर, सहनशील, संवेदनशील तथा मुद्दों की समझ रखने वाले परिपक्व व्यक्ति के तौर पर देखा। यह छवि भविष्य में राहुल गांधी के लिए मूल्यवान सिद्ध होगी। अब राहुल गांधी के बारे में कहा जा सकता है कि देश के प्रत्येक क्षेत्र के बारे में उन्हे व्यावहारिक जानकारी है। किसी भी मुद्दे पर अब वे अधिक अधिकार के साथ बोलने में समर्थ हैं।

लोकतंत्र के हित में है कि सत्ता पक्ष के सामने सजग, साहसी और मुद्दों की गहरी समझ रखने वाला विपक्ष हो। यह संख्या बल से अधिक महत्वपूर्ण होता है। बीते समय में कांग्रेस के शासनकाल में विपक्ष के गिने—चुने नेता भी सरकार को नीतियों पर पुनर्विचार के लिए विवश करते रहे हैं। विपक्ष के नेताओं के इसी गुण के कारण कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई। राहुल गांधी को स्वयं ऐसे ही रूप में स्वयं को जनता के सामने प्रस्तुत करना होगा।
(शुभ चौपाल)
वर्ष—5, अंक—28, दिनांक—1 से 6 फरवरी 2023

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