रायसेन— नर्मदा बनी हुई है काली कमाई का जरिया

नेताओं—अधिकारियों के बीच अवैध गठबंधन— एक

—याज्ञवल्क्य
रायसेन। राजधानी भोपाल से सटा हुआ रायसेन जिला अन्य कारणो से हटकर नेताओं और अधिकारियों के लिए अवैध कमाई के लिए उपयुक्त स्थान भी है। यहां अवैध कामों से करोडों रुपयों की काली कमाई पूरी खामोशी से होती रहती है। नेताओं—अधिकारियों के बीच पनपे अवैध गठबंधन के चलते इनके संरक्षण में गांवों से लेकर राजधानी भोपाल तक इनके कारिंदे काली कमाई बटोरने में जुटे हुए हैं। बीते करीब डेढ दशक से जिले में अवैध कमाई के प्रमुख स्रोतों में नर्मदा की रेत शामिल हो चुकी है।

रायसेन जिले की बाडी, बरेली और उदयपुरा तहसीलें पुण्य सलिला मां नर्मदा की गोद मे बसी हुई हैं। मां नर्मदा यहां लोक जीवन में इतनी रची—बसी हैं कि जन्म से लेकर मृत्यु तक कोई भी संस्कार उनके बिना पूरा ही नहीं होता। सदियों से इस क्षेत्र के निवासी नर्मदा को मां मानते रहे हैं और उनका दोहन कर आवश्यक व्यवस्थाएं जुटाते रहे हैं। हर बात पर हर नर्मदे वाले इस क्षेत्र का पालन मां नर्मदा पूरे ममत्व के साथ करती रही हैं। नेताओं और अधिकारियों ने ठेकदारों के प्रलोभनों में आकर मां नर्मदा के दोहन के स्थान पर शोषण करना प्रारंभ कर दिया, जो अब लगभग चरम तक पहुंच गया है।

अवैध उत्खनन, परिचहन और संग्रहण
नर्मदा की रेत का काला कारोबार तीन चरणो में चलता है। पहले चरण में अवैध उत्खनन होता है। यह अवैध इसलिए होता है कि इसमें निर्धारित स्थान से हटकर और प्रतिबंधित मशीनो का उपयोग किया जाता है। इसमे खनिज साधन विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मुख्य भूमिका होती है। ये ठेकेदारों को अवैध रूप से उन स्थानो पर अवैध उत्खनन की छूट देते हैं, जो निर्धारित नहीं होते हैं।

इसके बाद बात अवैध परिवहन की आती है। बाडी, बरेली और उदयपुरा तहसीलों के नर्मदा तटों से रातदिन डंपरों और ट्रैक्टर—ट्राली से नर्मदा की रेत का अवैध परिवहन होता रहता है। इसके लिए पुलिस और परिवहन विभाग का संरक्षण आवश्यक होता है।

नर्मदा की रेत का कई स्थानो पर अवैध संग्रहण होता है। यह अवैध इसलिए है कि विक्रय के लिए संग्रहित इस रेत के संग्रहण का कहीं लेखाजोखा नहीं होता। रेत का यह अवैध संग्रहण संबंधित विभागों के अलावा सभी को दिखता है। संबंधित विभागों के अधिकारियों को इसलिए नहीं दिखाई देता क्योंकि अवैध काली कमाई उनकी आंखों पर काली पट्टी बांधे हुए है।

क्रमश: जारी…..

राजधानी भोपाल से सटा हुआ जिला रायसेन नेताओं और अधिकारियों के लिए मोटी काली कमाई का उपयुक्त स्थान बना हुआ है। इस श्रृंखला में हम ऐसे ही काले कारोबारों के बारे में आपको बता रहे हैं। ‘शुभ चौपाल’ तथ्यों से अधिक सत्य पर भरोसा करता है। लेकिन कोई आधिकारिक प्रतिवाद आता है तो हम उसका तथ्यात्मक उत्तर देने के लिए तैयार हैं क्योंकि यह सत्य तथ्यों को खंगोलने के बाद ही सामने आए हैं।

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