भोपाल— मास्टर प्लान को लागू करने पर क्यों न लगाई जाए रोक ?
जबलपुर। मप्र उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को उत्तर प्रस्तुत करने के लिए 10 दिन का समय दिया है कि कि भोपाल के मास्टर प्लान को लागू करने पर क्यों न रोक लगा दी जाए। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बैंच ने इस मामले में दायर अंतरिम आवेदन की सुनवाई 10 दिन बाद नियत की है।
भोपाल सिटीजन फोरम की ओर से पूर्व डीजीपी अरुण गुर्टू की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि टीएनसीपी संचालक ने 20 जुलाई 2020 को भोपाल के मास्टर प्लान-2031 के ड्रॉफ्ट जारी करने की अधिसूचना जारी की थी। याचिका में कहा गया कि भोपाल के मास्टर प्लान का ड्रॉफ्ट जारी होने की अधिसूचना के बाद आपत्ति पेश करने के लिए 30 दिन का समय दिया जाता है। भोपाल में इस दौरान 15 दिन कर्फ्यू लगा रहा। शेष 15 दिन कार्यालय बंद रहे, इसकी वजह से नागरिकों को मास्टर प्लान का ड्रॉफ्ट नहीं मिल पाया। महापौर और सरपंचों का कार्यकाल समाप्त होने की वजह से आपत्तियों की सुनवाई के लिए गठित समिति में एक भी चुने हुए जनप्रतिनिधि को नहीं रखा गया है। आपत्तियों की सुनवाई अधिकारियों के द्वारा की जा रही है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि कालियासोत और केरवा डैम के पास बाघों का क्षेत्र है। याचिका में कहा गया कि मास्टर प्लान में वर्ष 2031 में जनसंख्या 36 लाख होने का आकलन किया गया है, जबकि 2031 तक भोपाल की जनसंख्या 26 लाख होने का अनुमान है। याचिका में कहा गया है कि मास्टर प्लान से ग्रीन बेल्ट कम हो जाएगा।