कोरोना संकट पर प्रधानमंत्री ने चेताते हुए कहा कहीं ऐसा न हो … कश्ती वहीं डूबी जहां पानी कम था
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमितों की संख्या में एक बार फिर से हो रही वृद्धि और देश की सर्वोच्च अदालत के गंभीर रुख के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक की। कोविड-19 संक्रमण से स्वस्थ होने वालों व इसके कारण होने वाली मौतों के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने संक्रमण नए मामलों की दर को कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पॉजिटिविटी रेट को पांच फीसद से कम करने और आरटी—पीसीआर RT-PCR टेस्ट बढ़ाने की आवश्यकता है। बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम आपदा के गहरे समुद्र से बाहर आए हैं। दुनिया का मानना था कि भारत महामारी से नहीं बच पाएगा लेकिन हम आपदा के गहरे समुद्र से निकलकर किनारे की ओर बढ़ रहे हैं। हमारे साथ पुरानी शायरी कहीं सटीक न हो जाए कि हमारी कश्ती भी वहां डूबी जहां पानी कम था। यह स्थिति हमें नहीं आने देना है। जिन देशों में कोरोना कम हो रहा था, वहां तेजी से संक्रमण फैल रहा है। हमारे देश के कई राज्यों में भी यही ट्रेंड है इसलिए हमें पहले से अधिक जागरूक होना होगा। उन्होने कहा कि देश में कोविड-19 के लिए काफी बेहतर प्रबंधन का इंतजाम है। इस क्रम में आगे की रणनीति के तहत पॉजिटिविटी रेट और मृत्यु दर में कमी लाने की जरूरत है। बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए।
वैक्सीन के वितरण के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं चाहता हूं कि ब्लॉक स्तर पर टीम का गठन हो जो वैक्सीन की ट्रेनिंग और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए काम करे। वैक्सीन की कीमत, खुराक और आने की तिथि वैज्ञानिक तय करेंगे। हालांकि भारत से जुड़ी दो वैक्सीन रेस में आगे चल रही हैं। हम ग्लोबल फर्म्स के साथ भी काम कर रहे हैं। कई साल तक दवाई मौजूद रहने के बाद भी लोगों को पर इसका विपरीत प्रभाव होता है इसलिए वैज्ञानिक ही इस संबंध में फैसला लेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मृत्यु दर और संक्रमण से स्वस्थ होने की दर में भारत दूसरे देशों के मुकाबले बहुत संभली हुई स्थिति में हैं। हम सभी के अथक प्रयासों से देश में टेस्टिंग से लेकर ट्रीटमेंट का एक बहुत बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। पीएम केयर्स फंड की ओर से ऑक्सीजन और वेंटीलेटर उपलब्ध करवाने पर भी जोर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने महामारी कोविड-19 के लिए विकसित किए जा रहे वैक्सीन को लेकर देश में की जा रही राजनीति पर चिंता जताई और कहा कि वे इसे नहीं रोक सकते।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन के लिए राज्यों को कोल्ड स्टोरेज की सुविधाओं का इंतजाम करना होगा। वैक्सीन के लिए जिला स्तर पर टास्क फोर्स का गठन की आवश्यकता है। जहां तक वैक्सीन के वितरण की बात है उसकी तैयारी सभी राज्यों के साथ मिलकर की जाएगी। वैक्सीन प्राथमिकता के आधार पर किसे लगाई जाएगी इसका निर्णय भी राज्यों के साथ मिलकर लेना होगा। राज्यों को इस पर काम करना शुरू कर देना चाहिए। इसकी अतिरिक्त सप्लाई पर भी काम किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वैक्सीन को लेकर देश में राजनीति हो रही है। मैं राजनीति नहीं रोक सकता। उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त प्रयासों के बदौलत दूसरे देशों की तुलना में आज भारत में बेहतर हालात हैं। वैक्सीन को लेकर भारत के पास जैसा अनुभव है वो दुनिया के बड़े- बड़े देशों को नहीं है। हमारे लिए स्पीड जितनी जरूरी है उतनी ही जरूरी सेफ्टी भी है। भारत जो भी वैक्सीन अपने नागरिकों को देगा वो हर वैज्ञानिक कसौटी पर खरी होगी। देश में ऑक्सीजन व वेंटिलेटर के निर्माण और इसे उपलब्ध कराने पर फोकस दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री कहा कि देश में अब लोग अपनी बीमारी को छिपा रहे हैं। केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करना होगा। भारत में फिर से कोरोना बढ़ सकता है। वैक्सीन कब आएगी और इसके कितने डोज होंगे इसका फैसला वैज्ञानिक करेंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में शुरू से ही एक-एक जिंदगी को बचाना हमारी प्राथमिकता रही है। अब हमारी प्राथमिकता होगी कि हर किसी को वैक्सीन उपलब्ध हो। कोरोना की वैक्सीन से जुड़ा भारत का अभियान अपने हर नागरिक के लिए एक नेशनल कमिटमेंट है।