मध्यप्रदेश— कोरोना महामारी के प्रति हमारी घातक लापरवाही
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—शुभ चौपाल संवाददाता—
subhchoupal@gmail.com
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनावों के समय से कोरोना महामारी के प्रति लापरवाही बढती गई है। दीपावली पर बाजारों से घरों तक और मेलों से मोहल्ले तक यह लापरवाही घातक स्थिति में पहुंच गई। इसके दुष्परिणाम अब कोरोना संक्रमितों की संख्या में लगातार वृद्धि के रूप में सामने आने लगे हैं।
प्रदेश में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव के समय ऐसा लग रहा था कि कोरोना की रफ्तार थम—सी गई है। बिना किसी व्याख्या के भी इसका कारण समझा जा सकता है। उपचुनावों के बाद दीपावली के त्यौहार पर भी बाजार गुलजार रहे। अब अचानक कोराना संक्रमितों की संख्या में बढोत्तरी दिख
रही है। एक बार फिर कोरोना महामारी लोगों की मुख्य चिंताओं में शामिल हो गई है।
जानकर अनजान
संचार माध्यमों ने कोरोना महामारी के प्रति लोगों की जानकारी बहुत अधिक बढा दी है। अब ऐसे लोग तलाशना मुश्किल है, जिन्हे कोरोना के प्रति बहुत कुछ पता न हो। इसके बाद भी लोग इसके खतरे से जानकर भी अनजान बने हुए हैं।
नादानी भरे तर्क
प्रदेश में कुछ महीनो से जनजीवन सामान्य चल रहा है। सार्वजनिक परिवहन सेवाएं प्रारंभ हो चुकी हैं और सरकारी दफ्तरों से लेकर दुकानो तक चहलपहल बनी रहती है। इन सभी स्थानो पर लोगों को बिना मास्क के और बिना सुरक्षित दूरी के देखा जा सकता है। कई बार नादानी भरे तर्क दिए जाते हैं कि अर्थव्यवस्था को गति देने और लोगों की रोजी— रोटी के लिए नियम शिथिल करना आवश्यक है। कोरोना के बारे में अब इतनी अधिक जानकारी सामने आ चुकी है कि स्वयं को और दूसरों को सुरक्षित रखते हुए भी अधिकांश काम किए जा सकते हैं।
दयनीय स्थिति
मध्यप्रदेश में महानगरों और जिला मुख्यालयों से नीचे सरकारी इलाज की
बहुत अधिक दयनीय स्थिति है। तहसील मुख्यालयों से नीचे गांवों में तो स्वास्थ्य विभाग की मौजूदगी महीने में एक— दो बार ही दिखती है। अधिकांश गांवों में इंजेक्शन लगाने के लिए भी कोई स्वास्थ्यकर्मी मौजूद नहीं रहता। स्वास्थ्य सेवाओं की यह दयनीय स्थिति प्रदेश के गांवों के लिए कोरोना के संदर्भ में बहुत अधिक घातक साबित हो सकती है।
कौन है अनजान
प्रदेश में कोरोना महामारी के प्रति घातक लापरवाही प्रत्येक स्तर पर बरती जा रही है और इससे कोई भी अनजान नहीं है। ‘शुभ चौपाल’ ने देखा कि दफ्तरों में जिम्मेदार ही बिना मास्क के बैठे हैं। दुकानदार और ग्राहक बिना मास्क के सौदाबाजी कर रहे हैं। शैक्षणिक संस्थाओं, सार्वजनिक स्थानों, यात्री वाहनो, धार्मिक स्थलों और गलियों— मोहल्लों में दिशानिर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। यह सभी को पता है, लेकिन चल भी रहा है।
नहीं है विरोधाभास
सामान्य कामकाज चलते रहने और कोविड—19 से बचाव के संबंध में कोई विरोधाभास नहीं है। यदि शासन और प्रशासन की दृझ इच्छाशक्ति हो तो प्रदेश में कोरोना महामारी से बचाव के साथ भी जनजीवन सामान्य रूप से चल सकता है। इसके लिए कागजी निर्देशों के स्थान पर वास्तविक प्रयास करना होंगे।
—शुभ चौपाल—वर्ष—3—अंक—16—