मध्यप्रदेश: ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव; सुप्रीम कोर्ट ने कहा— अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा के भीतर रहते हुए दिया जा सकता है आरक्षण
भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे। आज बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में अपना फैसला सुना दिया है। अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की दूसरी रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। साथ ही एक सप्ताह में ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए हैं। वहीं, चुनाव 2022 के परिसीमन से कराने की मांग को भी मान लिया गया है।
प्रदेश में अब नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत के चुनाव में ओबीसी के लिए जनसंख्या के हिसाब से अधिकतम 35 प्रतिशत सीट 50 प्रतिशत के आरक्षण की सीमा में रहते हुए आरक्षित की जा सकेंगी।
पहले बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव के दिए थे आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव जल्द कराने संबंधी जया ठाकुर और सैयद जाफर की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट को अधूरा मानते हुए बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने के आदेश दिए थे। राज्य निर्वाचन आयोग से कहा गया था कि वह दो सप्ताह के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी करे। हाईकोर्ट या सिविल कोर्ट का कोई भी आदेश इसमें आड़े नहीं आएगा। साथ ही कहा था कि बिना ट्रिपल टेस्ट किए ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
नए सिरे से होगा परिसीमन
राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की सिफारिश के अनुरूप ओबीसी को आरक्षण देने के लिए नगरीय निकायों का आरक्षण नए सिरे से करना होगा। अभी 25 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से आरक्षण किया गया था। वहीं, त्रिस्तरीय पंचायत (ग्राम, जनपद और जिला) का आरक्षण होना है। इसमें नई व्यवस्था के तहत प्रक्रिया की जाएगी।