विदिशा— यहां आते हैं लोग कुबेर की प्रतिमा के दर्शन के लिए

विदिशा। कुबेर को धन का स्वामी माना जाता है। पुरातात्विक और ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध इस नगर में 12 फुट ऊंची कुबेर की प्रतिमा है, जिसके दर्शन के लिए लोग बडी संख्या में आते हैं। यह प्रतिमा पुरातत्व संग्रहालय के मुख्य द्वार पर स्थापित है।

पुरातत्वविदों के अनुसार देश में कुबेर की यह दूसरी प्रतिमा है। बिहार के दीदारगंज में मिली एक प्रतिमा नई दिल्ली के राष्ट्रीय पुरातत्व संग्रहालय में रखी है। सन 1955 से 60 के बीच बैस नगर की खुदाई के दौरान नदी के किनारे यह प्रतिमा मिली थी। यह प्रतिमा एक ही बलुआ पत्थर पर उकेरी गई है। इस प्रतिमा के सिर पर पगड़ी और कंधों तक उत्तरीय वस्त्र हैं। कानों में कुंडल और गले में कंठा है। एक हाथ में धन की थैली दिखाई देती है। देश में इतनी विशालकाय और प्राचीन प्रतिमा कहीं नहीं है। दूसरी शताब्दी में कुबेर को यक्ष माना जाता था। उनकी ग्राम देवता के रूप में पूजा होती थी। रामायण काल में भी कुबेर का संदर्भ मिलता है। रामायण में रावण द्वारा कुबेर को युद्ध में हराकर उनका पुष्पक विमान छीनने का उल्लेख भी मिलता है। धार्मिक ग्रथों में कुबेर को प्रमुख यक्षों में से एक बताया गया है। उन्हें धन के देवता के अलावा उत्तर दिशा का स्वामी भी माना जाता है। अथर्ववेद में कुबेर को यक्षराज भी कहा गया है। दीपावली को मां लक्ष्मी का त्योहार माना जाता है। लक्ष्मी पूजन से पहले धनतेरस पर कुबेर की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कुबेर की पूजा से धन धान्य की कमी नहीं रहती। यही कारण है कि लोग इस प्रतिमा के दर्शन के लिए आते हैं।

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